1. प्रथम भाव (लग्न):
- सूर्य यहाँ तेजस्वी व्यक्तित्व, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता प्रदान करता है। जातक स्वस्थ और प्रभावशाली होता है।
2. द्वितीय भाव (धन भाव):
- सूर्य पारिवारिक जीवन और धन पर प्रभाव डालता है। वाणी प्रभावशाली होती है, लेकिन कठोरता आ सकती है। धन संचय में उतार-चढ़ाव हो सकता है।
3. तृतीय भाव (पराक्रम भाव):
- साहस, मेहनत और आत्मनिर्भरता बढ़ाता है। छोटे भाई-बहनों से अच्छे संबंध होते हैं। लेखन और संचार के क्षेत्र में सफलता दिलाता है।
4. चतुर्थ भाव (सुख भाव):
- माता और पारिवारिक सुख में कुछ कमी हो सकती है। घर, वाहन, और भूमि के मामलों में लाभ होता है।
5. पंचम भाव (विद्या/संतान भाव):
- शिक्षा और संतान के लिए शुभ। जातक उच्च शिक्षा और रचनात्मकता में निपुण होता है। प्रेम संबंधों में सफलता मिलती है।
6. षष्ठ भाव (रोग/शत्रु भाव):
- शत्रुओं पर विजय दिलाता है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना हो सकता है। सरकारी नौकरी में सफलता के योग बनते हैं।
7. सप्तम भाव (विवाह भाव):
- वैवाहिक जीवन में अहंकार और तनाव की संभावना। साझेदारी के कार्यों में सफलता मिल सकती है।
8. अष्टम भाव (आयु/गुप्त भाव):
- गुप्त ज्ञान, शोध, और आध्यात्मिक रुचियों को बढ़ावा देता है। आकस्मिक लाभ और स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता।
9. नवम भाव (भाग्य भाव):
- भाग्य को प्रबल बनाता है। धार्मिक और उच्च शिक्षा में रुचि बढ़ती है। यात्राओं से लाभ होता है।
10. दशम भाव (कर्म भाव):
- करियर में उन्नति और मान-सम्मान प्रदान करता है। सरकारी क्षेत्रों या उच्च पदों पर सफलता मिलती है।
11. एकादश भाव (लाभ भाव):
- आर्थिक लाभ और बड़े सपनों को पूरा करने में सहायता करता है। आय के स्रोत बढ़ते हैं।
12. द्वादश भाव (व्यय भाव):
- व्यय और विदेश यात्राओं का संकेत। आध्यात्मिक रुचि और स्वास्थ्य पर खर्च हो सकता है।
निष्कर्ष:
मेष लग्न में सूर्य का हर भाव में विश्लेषण यह दर्शाता है कि सूर्य जातक के जीवन को उज्ज्वल और ऊर्जावान बनाता है। हालांकि, इसका प्रभाव ग्रह स्थिति के अनुसार शुभ या अशुभ हो सकता है।